बासमती चावल ने तोड़ा निर्यात का रिकॉर्ड और इसका एक्सपोर्ट और भी बढ़ सकता है। वित्त वर्ष 2024 में बासमती चावल के निर्यात ने मात्रा और मूल्य दोनों में उल्लेखनीय वृद्धि हासिल की है1. अप्रैल से फरवरी तक शिपमेंट 5.2 बिलियन डॉलर से अधिक हो गया है और निर्यात मात्रा 4.67 मिलियन टन से अधिक है जो एक नया रिकॉर्ड है। इसके अलावा, बासमती चावल के एक्सपोर्ट पर लगी 1200 डॉलर प्रति मीट्रिक टन की मिनिमम एक्सपोर्ट प्राइस को घटाकर 950 डॉलर किया गया है, जिससे अंतरराष्ट्रीय मांग में तेजी आई है2. इस साल बासमती चावल के एक्सपोर्ट ने पिछले साल के मुकाबले 3.45 लाख टन ज्यादा हो चुका है और दाम में भी प्रति टन 77 डॉलर का इजाफा हुआ है3. यह वृद्धि बासमती चावल के निर्यात के लिए एक अच्छी संकेत हो सकती है।
वित्त वर्ष 2024 में बासमती चावल के निर्यात ने मात्रा और मूल्य दोनों में उल्लेखनीय वृद्धि हासिल की है। नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, अप्रैल से फरवरी तक शिपमेंट 5.2 बिलियन डॉलर से अधिक हो गया है और निर्यात मात्रा 4.67 मिलियन टन से अधिक है जो एक नया रिकॉर्ड है।
जबकि मार्च के आंकड़ों को शामिल करने के बाद पूरे वित्तीय वर्ष के लिए निर्यात एक नया रिकॉर्ड स्थापित करने का अनुमान है l मिडिल ईस्ट में चल रही भूराजनीतिक तनाव के कारण चिंताएं पैदा होती हैं, जो 70 प्रतिशत से अधिक बासमती निर्यात के लिए एक प्रमुख बाजार है।
व्यापारिक सूत्रों से संकेत मिलता है कि क्षेत्र में ईरान और इज़राइल के बीच हालिया संघर्ष नए वित्तीय वर्ष में भारतीय निर्यातकों के लिए महत्वपूर्ण चुनौतियाँ पैदा कर सकता है। स्थिति पर बारीकी से नजर रखी जा रही है, क्योंकि बासमती चावल के निर्यात पर इसका संभावित प्रभाव अनिश्चित बना हुआ है। लाल सागर क्षेत्र में हाल के हमलों के परिणामस्वरूप भारतीय निर्यातकों को पहले से ही कठिनाइयों का सामना करना पड़ा है, जिससे यूरोप और संयुक्त राज्य अमेरिका जैसे गंतव्यों के लिए शिपिंग लागत और पारगमन समय में वृद्धि हुई है।
हालांकि, विश्लेषकों का मानना है कि मौजूदा तनाव के कारण निर्यात और कीमतें भी बढ़ सकती हैं। ईरान और इराक जैसे देशों के पास वर्तमान में किसी भी भूराजनीतिक नतीजों से निपटने के लिए पर्याप्त स्टॉक है, जबकि सऊदी अरब, ओमान, कतर और संयुक्त अरब अमीरात जैसे अन्य खाड़ी देशों को कमी का सामना करना पड़ सकता है। इससे बासमती चावल के निर्यात ऑर्डर में संभावित रूप से नई वृद्धि हो सकती है, साथ ही अतिरिक्त मांग और जोखिम प्रीमियम के कारण कीमतें भी बढ़ सकती हैं।
व्यापार विश्लेषक और “बासमती चावल: प्राकृतिक इतिहास और भौगोलिक संकेत” पुस्तक के लेखक एस.चंद्रशेखरन का सुझाव है कि ईरान को चालू वित्त वर्ष में चावल की खरीद में 30 प्रतिशत की वृद्धि होने की उम्मीद है। बासमती चावल के आयात का हिस्सा ईरानी सरकार की खाद्य नीति पर निर्भर करेगा।
अप्रैल से फरवरी की अवधि के दौरान, बासमती शिपमेंट के मूल्य में 22 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई। सबसे बड़े खरीदार सऊदी अरब ने $1.1 बिलियन से अधिक मूल्य का बासमती चावल आयात किया, जबकि पिछले वर्ष की समान अवधि में यह $920 मिलियन था। मात्रा के संदर्भ में, सऊदी अरब को निर्यात 9.61 लाख टन तक पहुंच गया, जो पहले 8.51 लाख टन था।
पिछले वर्ष की तुलना में मात्रा और मूल्य दोनों दोगुने से अधिक के साथ इराक दूसरे सबसे बड़े खरीदार के रूप में उभरा। अप्रैल से फरवरी के दौरान भारत से इराक का बासमती चावल आयात 7.02 लाख टन रहा, जो पिछले साल 3.13 लाख टन था। इराक में बासमती शिपमेंट का मूल्य 757 मिलियन डॉलर तक पहुंच गया, जबकि पिछले वर्ष की समान अवधि में यह 321 मिलियन डॉलर था।
ईरान, जो पहले दूसरा सबसे बड़ा खरीदार था, अब तीसरे स्थान पर है, अप्रैल से फरवरी के दौरान शिपमेंट का मूल्य घटकर 6.44 लाख टन हो गया है, जो पिछले वर्ष 9.27 लाख टन था। अप्रैल से फरवरी के दौरान ईरान को बासमती का निर्यात 652.70 मिलियन डॉलर का हुआ, जो पिछले साल की समान अवधि के दौरान 911.02 मिलियन डॉलर से कम है।
इस तनाव के बीच, भारत से ईरान में चावल का एक्सपोर्ट लगभग ठप हो गया है, जिससे चावल कारोबारी परेशान हैं। यहां तक कि बासमती चावल के दाम में 5 रुपये प्रति किलो गिरावट आई है। इस वृद्धि बासमती चावल के निर्यात के लिए एक अच्छी संकेत हो सकती है।
भारत बासमती चावल के एक महत्वपूर्ण निर्यातक है, और ईरान उसका महत्वपूर्ण खरीदार था। हालांकि, ईरान-इजरायल के बीच तनाव के कारण चावल के निर्यात में गिरावट आई है।2 यह विक्रेताओं के लिए चुनौतीपूर्ण समय है, लेकिन यह भारतीय चावल के निर्यात के लिए एक अवसर भी हो सकता है।